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बलिया : आज हो सकता है फैसला : कौन भारी - मंत्री विधायक डीएम सभासद या ईओ बलिया डीके विश्वकर्मा ?

आज हो सकता है फैसला : कौन भारी - मंत्री विधायक डीएम सभासद  या ईओ बलिया डीके विश्वकर्मा  ?

बलिया 13 अगस्त 2019 ।। बलिया नगर पालिका और सभासदों के बीच चल रही नूराकुश्ती के नायक ईओ डीके विश्वकर्मा के इस भविष्य पर कि बलिया के ईओ रहेंगे की नही , आज फैसला होने की पूरी संभावना है । बता दे कि नगर पालिका परिषद बलिया के सभासदों द्वारा बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके अध्यक्ष के वित्तीय अधिकार को रोकने , ईओ और जेई के स्थानांतरण और अध्यक्ष और ईओ द्वारा किये गये भुगतानों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी । सभासदों की मांगों का समर्थन करते हुए प्रदेश सरकार के मंत्री उपेन्द्र तिवारी और सदर विधायक आनन्द स्वरूप शुक्ल ने सभासदों के साथ नगर विकास मंत्री से मिलकर ईओ बलिया का रामपुर के लिये स्थानांतरण करा दिया था । रामपुर से ही आकर डॉ इंदु शेखर मिश्र ने बलिया के ईओ का कार्यभार भी ग्रहण कर लिया था । वही जिला अधिकारी बलिया ने भी ईओ डीके विश्वकर्मा के खिलाफ शासन को डीओ लेटर भेज दिया था । कहानी में एक माह बाद ट्विस्ट तब आया जब डीके विश्वकर्मा ने शासन से पुनः अपना स्थानांतरण बलिया के ईओ के पद पर कराकर मंत्री विधायक डीएम और सभासदों को एक ही वार में चित्त कर दिया । सभासदों की पुनः शिकायत पर कि जिस अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत हो उसको पुनः उसी पद और स्थान पर पदस्थापित होने पर जांच प्रभावित होगी , डीएम बलिया ने तत्काल प्रभाव से ईओ डीके विश्वकर्मा के ईओ के रूप में कार्य करने पर 13 अगस्त यानी आजतक स्थगन लगा कर शासन को ईओ के खिलाफ एक बार फिर डीओ लेटर भेज दिया था । आज सबकी निगाह शासन द्वारा होने वाले आदेश पर टिकी हुई है कि क्या इस बार भी ईओ डीके विश्वकर्मा सब पर भारी पड़ते है या बलिया से बिदाई की तैयारी करते है ।
पहली नगर पालिका जहां बिना प्रस्ताव व बजट पास हुए हो रहा है कार्य व भुगतान
 नगर पालिका परिषद बलिया में कानून के जानकार होने के वावजूद डीके विश्वकर्मा ने मन मर्जी का साम्राज्य कायम कर रखा है । नगर पालिका बलिया प्रदेश ही नही देश की ऐसी पहली नगर पालिका है जिसमे वित्तीय वर्ष 2019 - 20 के लिये आजतक न तो कोई कार्य योजना बनी है, न प्रस्ताव पारित हुए है और न ही खर्च करने के लिये, निर्माण कार्य के लिये बोर्ड से कोई प्रस्ताव ही पारित हुए है । फिर भी अध्यक्ष और ईओ मिलकर न सिर्फ तानाशाही तरीके से मनमर्जी से निर्माण व अन्य कार्य करा रहे है बल्कि भुगतान भी कर रहे है ।इनकी मनमर्जी को लेखाधिकारी रोक सकता था लेकिन वो भी इन लोगो के ही सुर में सुर मिलाकर भुगतान पर अपनी सहमति देते जा रहा है । सभासद ददन यादव, सुमित मिश्र गोलू ने मांग की है कि बिना बोर्ड की सहमति के जो भी निर्माण कार्य हो रहे है उनको तत्काल रोका जाए और कर्मचारियों के वेतन आदि भुगतानों को छोड़कर सभी प्रकार के भुगतानों पर बोर्ड से प्रस्ताव पारित होने तक रोक भुगतान पर रोक लगाया जाय ।