बलिया : तफ्तीश कलम से --सड़क चेकिंग में पकड़ी जाती है शराब , गांव के अंदर अरसे से चलता है कारोबार , फिर काहे का पुरस्कार
तफ्तीश कलम से
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर
सड़क चेकिंग में पकड़ी जाती है शराब , गांव के अंदर अरसे से चलता है कारोबार , फिर काहे का पुरस्कार
मधुसूदन सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
बलिया 19 नवम्बर 2018 ।। जनपद में आजकल सड़क मार्ग से बिहार को भेजी जाने वाली अवैध शराब महीने में कई बार पकड़ में आ जा रही है । यह तब हो रहा है जब गाड़ियों की चेकिंग होती है । गाड़ियों के पकड़ में आने पर एक सूचना प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से हम पत्रकारों को दी जाती है कि मुखबीर की सूचना पर फलां गाड़ी को रोका गया तो उसमें भारी मात्रा में अवैध अपमिश्रित अंग्रेजी शराब बरामद हुई । पुलिस अधीक्षक द्वारा भी ऐसी कार्यवाइयों पर पुरस्कार भी दिया जाता है । पकड़े गये तस्करों की निशानदेही पर किसी घर से संचालित अवैध शराब के कारोबार और गोदाम का भंडाफोड़ भी होता है , थाने की पुलिस द्वारा इसको अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि 56 इंच सीने को चौड़ाकर बताया जाता है । इसी सीना चौड़ा करने की कहानी से दूसरी कहानी निकलती है जो शायद धनाध्यक्ष महोदय लोगो को अच्छी न लगे । शुरुआत मैं 18 नवम्बर की रात में फेफना पुलिस द्वारा पकड़ी गयी 36 लाख की कीमत वाली बरामदगी की घटना से करना चाहता हूं । बताया जाता है कि वयना तिराहे पर मुखबीर की सूचना पर बलिया से फेफना की तरफ आ रही पिकअप को रोककर चेक किया जाता है तो उसमें शराब बरामद होती है । चालक से जब कड़ाई से पूंछताछ की जाती है तो वह स्वीकार करता है कि मैं यह शराब मिठवार गांव से लेकर आ रहा हूँ और वहां अभी दो गाड़ियों पर शराब लद रही होगी । पुलिस ततपरता से मिठवार गांव के उस घर पर छापेमारी करती है और दो गाड़ियों के साथ भारी मात्रा में शराब बरामद करने में कामयाब हो जाती है लेकिन उस घर से एक भी और आरोपी को पकड़ नही पाती है । पिकअप के पकड़ाने से ही सवाल खड़ा हो जाता है । प्रेस नोट के अनुसार पिकअप पर लदी शराब मिठवार गांव के एक घर से लदी है । मिठवार गांव फेफना थाने से तकरीबन 2 किमी की दूरी पर है । मिठवार गांव से बलिया आने के लिये दो ही रास्ते है एक गड़वार से पहले बलिया मोड़ से और दूसरा फेफना चौराहे से । अब कन्फ्यूजन यह है कि मिठवार से चली पिकअप अगर फेफना थाने के डर से बलिया पहुंच गयी तो फिर क्यो वापस फेफना की तरफ आ रही थी । अगर उसको फेफना नरही के रास्ते बक्सर जाना था तो मिठवार से सीधे 3 किमी दूर फेफना चौराहे को पार कर बाहर निकल जाती जो नही किया , यही बात इस बरामदगी में संशय पैदा करती है । दूसरी बात सीधे थाने की कार्यशैली को ही कटघरे में खड़ा करती है । थाने का मुखबीर यह तो बता दे रहा है कि बलिया से इस गाड़ी में शराब आ रही है लेकिन वह यह क्यो नही बताता है कि मिठवार गांव में लंबे अरसे से अवैध शराब का बड़े पैमाने पर कारोबार संचालित हो रहा है । हकीकत में ऐसा संभव ही नही कि इतने बड़े कारोबार की भनक किसी को हो ही नही ? थाने के हल्का इंचार्ज , बिट इंचार्ज आखिर कौन सी ड्यूटी बजाते रहे यह सवाल तो पूंछा ही जाना चाहिये ? अक्सर देखा जाता है कि बहुत दिनों से तैनात पुलिस कर्मियों की किसी न किसी तरीके से संलिप्तता जरूर जांच में निकल कर आती है । ऐसे में अगर किसी थाना क्षेत्र के अंदर इस प्रकार के अवैध कारोबार अगर अरसे से चलता पाया जाय तो सम्बंधित प्रभारियों के खिलाफ चाहे वो थाना प्रभारी हो , चाहे हल्का प्रभारी हो , या बिट प्रभारी सख्त कार्यवाई होनी चाहिये न कि उनको परितोषित देकर महिमा मंडित किया जाय ?। हां अगर सड़क मार्ग पर चेकिंग में पकड़ते है उसका स्थानीय थाना क्षेत्र से कोई जुड़ाव न हो तो पारितोषित के हकदार है , अगर तनिक भी पकड़ने वाले थाना क्षेत्र की संलिप्तता है तो नही । यह तो मात्र एक उदाहरण है , ऐसे कई उदाहरण दिखते है । पुलिस अधीक्षक को ऐसे मामलों में अगर रोक लगानी है तो सबसे पहले सड़क मार्ग के रास्ते ले जायी जा रही शराब जिन जिन थानों को क्रॉस करके आने के बाद पकड़ाती है , उनके खिलाफ भी सख्त कार्यवाई करनी होगी तब इस धंधे पर रोक लग पायेगी ।